Love Life - 1 in Hindi Fiction Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | लव लाइफ - भाग 1

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लव लाइफ - भाग 1

श्रेया जो आज पहली बार लाइफ मैं घर से बहर निकली थी अपनी हॉस्टल लाइफ जीने के लिए अपनी स्टडीज पूरी करने के लिए आज बहुत खुश थी। श्रेया जो एक हफ्ते पहले ही 21 साल की ही थी गिफ्ट मैं उसने अपने पेरेंट्स से बहर स्टडीज करने की मांग की थी। श्रेया और उसकी दो बहने कुल मिलाकर ये तीन बहने थीं जिसमें श्रेया सबसे बर्डी बहन थी और अपने पिता की सबसे लाडली भी थी।उसकी माँ जब वो आठ साल की थी तभी एक एक्सीडेंट मैं गुजर गईं थी। फिर क्योंकि श्रेया बहुत छोटी थी तो उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। पर कहते हैं न की सौतेली माँ कभी सगी माँ नही बन सकती। वेसा ही कुछ श्रेया के केस मन भी था। श्रेया हमेशा से चाहती थी की उसकी माँ भी उसे बाकि माओं की तरह प्यार दे। उसके साथ टाइम स्पेंड करें उसके साथ खेलें और जब भी उसे जरूरत हो हमेशा उसके साथ हो। पर ऐसा नहीं हो पाया श्रेया की मां के जाने के बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली जिसके बाद उसकी  सौतेली मां की दो ओर बेटियां हुईं जो कायदे से देखा जाए तो श्रेया की छोटी  बहने ही थी। जब भी उसके पिता संजय अगरवाल श्रेया से प्यार से बात करते या उसके लिए कुछ भी लाते तो  हिना को बहुत गुस्सा आता था। जिसकी वजह से कभी श्रेया और हिना की आपस बन ही  नही  पाई। पर वहीं दूसरी तरफ नव्या जो हिना की छोटी बहन थी उसकी श्रेया से बहुत बनती थी।

सुषमा  जी श्रेया से  बहुत काम करवाती थी घर का सारा काम वो श्रेया  से ही करवाती थी। और इसकी वजह से श्रेया अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रही थी।  नव्या  ( श्रेया की छोटी भं )  चुपके-चुपके हमेशा श्रेया की  मदद करती थी। जिसकी वजह से नव्या को भी  घर के सारे काम आते थे। और श्रेया वह तो मानो हर चीज में एक्सपर्ट हो गई हो।

श्रेया  का सबसे पसंदीदार काम था खाना बनाना। उसे खाना बनाना बहुत पसंद था। और वह बहुत अच्छा खाना बनाती थी। यह गुण उसमें उसकी मां से ही आया था उसकी मां  सुशीला जी भी अपने टाइम की फेमस शेफ  हुआ करती थी। और उसकी मां के खाने की तारीफ पूरी दुनिया भर में मशहूर थी।

यहां तक कि दुनिया भर के बड़े बड़े बिजनेसमैन गवर्नमेंट ऑफिशल्स तक उसकी मां के हाथ का खाना खाने के लिए उसके छोटे से रिस्टोन में आया करते थे। छोटा सा प्यारा सा रेस्टोरेंट हुआ करता था। बिल्कुल एक घर की तरह उस रेस्टोरेंट मैं आपको हर तरह की दिश मिलती। घर के खाने से लेकर चिनेस फ़ूड इतालियन फ़ूड हर तरह का खाना।

और वही गुण श्रेया की मा से  श्रेया के अंदर आया। श्रेया को भी खाना बनाना और खिलाना बहुत पसंद था। और क्योंकि नव्या हमेशा श्रेया के साथ रहती थी  तो नव्या को भी खाना बनाना आता था। हालांकि नव्या श्रेया के मुकाबले थोड़ा कम टेस्टी खाना बनाती थी पर हां वह भी काफी बेहतर खाना बना लेती थी। और रही बात हीना की तो हिना को तो यह भी नहीं मालूम था कि दूध कैसे गर्म किया जाता है।

क्योंकि उसकी मां ने कभी अपनी बेटियों को किचन में जाने ही नहीं दिया । हिना की मां यानी सुषमा जी श्रेया  पर बहुत अत्याचार करती थी श्रेया से एक पानी की बूंद भी जमीन पर गिर जाने से  श्रेया को बहुत मार पड़ती थी। कभी-कभी तो इतनी मार पड़ती थी कि श्रेया डर के मारे किचन के किसी कोने में जा छुपती थी।

और  दो दो   दिन तक खाना नहीं खाती थी। यही सोच कर कि अगर सुषमा मां ने उसे देख लिया तो वह फिर से उसे मरेंगी। श्रेया ने हमेशा अपनी मां को बहुत मिस किया था। किसी तरह उसने अपनी स्कूलिंग पास की  और उसके बाद अपने पापा को बहुत मना मना कर ग्रेजुएशन कि वह भी उसकी  सौतेली मां ने बहुत लड़ाई की थी उसके पापा से सिर्फ उसकी ग्रेजुएशन के लिए  |

सुषमा जी : इतना  पढ़ लिख कर क्या लेगी ? शादी ही तो करनी है।

 पर  उसने भी ठान लिया था। कि कुछ भी हो जाए वह ग्रेजुएशन तो  करेगी  ही।

सुषमा जी :  अगर पढना  ही है  तो लोकल  कॉलेज में ही  अपनी पढाई करनी होगी।

उसे कहीं बाहर नहीं भेजा जाएगा।  श्रेया ने  अच्छे नंबरों से ग्रेजुएशन पास की। और इतनी अच्छे से की श्रेया ने  टॉप किया। स्कॉलरशिप के पैसों से  उसे इंडिया का बेस्ट कॉलेज मिला  अपनी मास्टर्स की डिग्री करने के लिए। पर उसके रास्ते में एक दिक्कत थी। वो थी हीना।  और उसकी मां सुषमा  जी । सष्मा जी को  ऐसा लगता था कि अगर श्रेया ज्यादा पढ़   लिख गई तो   उसके पापा सारा  बिजनेस जो श्रेया की मां श्रेया के नाम पर था। उसे श्रेया को ही न देदें। सुशीला जी सब  अपने नाम करवाना चाहती थी। ना के श्रेया  के  नाम। जो श्रेया के  25 साल की पूरा होते ही उसका हो जाएगा। 

श्रेया  के बहुग इंसिस्ट  करने के बाद उसके अपने पापा को बहुत मनाने के बाद   सुषमा जी उसकी ग्रेजुएशन के लिए मान गईं।   पर सिर्फ एक शर्त पर उसके ऊपर नजर रखने के लिए हिना भी उसके साथ पढ़ने के लिए  जाएगी। हालांकि हिना श्रेया  से एक साल  छोटी थी पर  अपने पिता संजय  अगरवाल जी के कनेक्शंस की मदद से  वह भी श्रेया के साथ उसी कॉलेज में पढ़ने आ गई। पर श्रेया को उस पर नजर रखने के लिए कोई दिक्कत नहीं  थी। उसे पता था की उसे जिंदगी में क्या करना है उसे अपनी मां का नाम  रौशन करना था। और उनसे भी बड़ा रेस्टोरेंट  खोलकर मां का नाम रोशन करना था।

कॉलेज जाने से पहले श्रेया मंदिर जाना चाहती थी | तो वो सुभ सुभ उठकर जल्दी से तयार हुई और मंदिर चली गई | मंदिर में पूजा करने के बाद श्रेया कुछ वक्त अकेले बिताना चाहती थी | इसलिए वो मंदिर के पीछे वाली पहाड़ी की और चली गई | उसने फ़ोन में अपनी माँ की तवीर खोली हुई थी | वो आज अपनी मोम को बहुत मिस कर रही थी | वो मन ही मन अपनी माँ से बोली |

श्रेया  :  देखो माँ  | आपका बेटा | आपकी श्रेया आज कितनी बड़ी हो गई है | आपके सपने को पूरा करने की  एक और सीडी आज मैंने चड़ ली है |  काश आज आप मेरे साथ होतीं | मुझे आपकी बहुत याद आ रही है |

श्रेया की आँखें नम हो गई थी | उसे याद नहीं था की उसकी माँ की मौत केसे हुई थी | इस बात का गिल्ट श्रेया को हमेशा से रहा था | श्रेया अपनी माँ की मौत की खबर सुनने के बाद टूट सी गई थी | उस के लिए तो आज भी उसकी मोम ही सब कुछ थीं | वो अपनी माँ के साथ बिताए | उन खास पलों को कभी भी नहीं भूल सकती थी | सोचते सोचते श्रेया को ध्यान में ही नहीं रहा की वो पहाड़ी की छोटी की तरफ आ गई थी | वो बीएस अपने ही थॉट्स में उलझी हुई थी | चलते चलते उसे फील हुआ की उसके पेरों के निचे जमीन तो है ही नहीं | और वो डर गई | श्रेया ज़ोर से चीखी | नहीं | वो गिरती उससे पहले ही किसी ने श्रेया का हाथ पकड़ते हुए उसे उपर की और खिंचा | श्रेया ने जब उस इन्सान की आंखें  देखि तो वो देखती ही रह गई |  वो कुछ पलों के लिए मानों उस चेहरे में खो सी गई हो | वो आदमी श्रेया को उपर खींचने की कोशिश कर रहा था | पर श्रेया उसकी बात सुन ही नहीं थी | फिर श्रेया को उसने झटके से उपर खिंचा | और उससे गुस्से में कहने लगा | 

 वो शक्स :  तुम्हे मरना ही है | तो कहीं ओर जाकर मरो | मन्दिर जेसी पवित्र जगह को खंडित न करो |

ये बात सुनते ही मानों श्रेया अपने होश में आई हो | और उसने उस आदमी की बातों  को अपने दिमाग में रीतीट किया | तो उसे समझ आया की अभी अभी क्या हुआ | श्रेया को भरोसा नहीं हो रहा था की अभी वो मरने वाली थी | 

उस आदमी ने मास्क लगा रखा था जिससे श्रेया को उस इन्सान का चेहरा नहीं दिख रहा था | श्रेया बोली |

श्रेया :  सॉरी  | एंड थैंक्स  | मेरी जान बचाने के लिए | और हाँ आपने अभी क्या कहा | मैं आपको बता दूँ | मैं यहाँ मरने नहीं आई थी | वो तो बस मेरा पीर फिसल गया था |

वो आदमी कुछ बोलना चाहता था तभी उसे किसी का कॉल आया | और वो वहां से चला गया |  श्रेया सोचने लगी | 

श्रेया : आखिर था कोण वो | मुझे वो इतना जाना पहचाना क्यूँ लगा |  

और फिर वो भी वहां से चली गई |